इस केस स्टडी का उद्देश्य ग्राहकों को यह समझाना है कि हेल्थ इंश्योरेंस में डिसक्लोजर (बीमारी की जानकारी देना) कितना जरूरी है, और बीमाधारक की तरफ से हुई लापरवाही कैसे क्लेम रिजेक्शन का कारण बन सकती है — भले ही आपने सब कुछ सही तरीके से किया हो।
कहानी एक ग्राहक की:
नाम: श्रीमती राशी गुप्ता
पति: श्री रोहित गुप्ता (पॉलिसीधारक)
बीमा कंपनी: ICICI Lombard
पॉलिसी इतिहास:
1. पहली पॉलिसी ली गई:
- अवधि: 14 जुलाई 2021 से 13 जुलाई 2023
- मार्च 2022 में श्रीमती राशी को Fibroadenoma (स्तन की गांठ) हुआ।
- कंपनी को क्लेम किया गया और ICICI Lombard ने 15 मार्च 2022 को क्लेम को रिजेक्ट करते हुए खुद स्वीकार किया कि बीमारी थी।
2. दूसरी पॉलिसी ली गई:
- अवधि: 25 सितम्बर 2023 से 24 सितम्बर 2024
- अगस्त 2024 में उन्हें Breast Cancer हो गया और इलाज के लिए क्लेम किया गया।
3. क्लेम रिजेक्शन:
- कंपनी ने 12 सितम्बर 2024 को यह कहकर कैंसर का क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि पहले की बीमारी (Fibroadenoma) की जानकारी नहीं दी गई थी।
यह कहाँ गलत हुआ?
- बीमाधारक ने पहले ही बीमारी की जानकारी 2022 में कंपनी को दे दी थी।
- उसी आधार पर क्लेम रिजेक्ट भी किया गया था।
- फिर भी जब नई पॉलिसी के तहत क्लेम किया गया, तो कंपनी ने कहा कि यह "non-disclosure" है।
इस केस में क्या हुआ?
श्रीमती राशी गुप्ता ने पहले (2022) में Fibroadenoma का क्लेम किया था जो रिजेक्ट हो गया था।
लेकिन जब 2023 में नई पॉलिसी ली, तो प्रस्ताव फॉर्म में यह बीमारी नहीं लिखी गई।
बाद में जब कैंसर हुआ और क्लेम किया गया, तो कंपनी ने "No Constructive Notice Clause" का हवाला देकर कहा कि:
"हमें यह बीमारी पता नहीं थी, क्योंकि आपने नई पॉलिसी लेते समय प्रस्ताव फॉर्म में इसका खुलासा (disclose) नहीं किया। इसलिए यह Non-disclosure माना जाएगा।"